जब हम करियर के बेस्ट ऑप्शन की बात करते हैं तो मुझे एक बात यह कचौटती है कि हमारी सोच की गहराई क्या है?
समझो मेरा जन्म ऐसे घर में हुआ जहां खाना गैस के सिलेंडर पर पकाया जाता है बचपन से। अब मुझे कोई कहे कि लो यह लकड़ी और यह कोयला और यह चूल्हा, इस पर खाना पकाओ। तो मेरे लिए तो वह असंभव सी बात हो जाएगी। लेकिन जिस घर में पैदाइश से लेकर अभी तक, वही लकड़ी या कोयले पर खाना पकाया जाता है; उसके लिए तो खाना पकाने का वही बेस्ट संसाधन है।
तो मोरल ऑफ द स्टोरी है कि किन परिस्थितियों से गुजरकर हम, इस मुकाम पर पहुंचे हैं, वह जाने बिना सुपरलेटिव डिग्री लगाना; एक कुएं के मेंढक की मानसिकता से अधिक कुछ भी नहीं हो सकता।
आप देखिए जिन घरों में सभी लोग डॉक्टर हैं, उनकी नई पीढ़ी डॉक्टर बनना नहीं चाहती।
जिनके घरों में जन्मजात व्यवसाय होता है, अभी नई पीढ़ी नौकरी करना चाहती है।
जिन घरों में पीढ़ियों से खेती होती चली आई है, नई पीढ़ी कोई भी सरकारी नौकरी के लिए जान छिड़कने को तैयार है।
और सबके अपने-अपने आदर्श हैं। जिन घरों में गरीबी में खूब संघर्ष किए गए हैं, उनके बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर या कलैक्टर बनना चाहते हैं। और डॉक्टर इंजीनियरों के बच्चे प्रबंधन स्नातक बनना चाहते हैं।
तो यह सारा मामला ऐसा है की जो हमारे पास है, उसको छोड़कर, जो हमारे पास नहीं है; उसकी तरफ भागना।
पिछले 99 साल से यह एक भयानक विभीषिका बनती जा रही है।
आप देखिए हमारे जितने भी आजीविका के संसाधन पिछले 99 साल में विकसित हुए, जिसको हम तथाकथित विकास के नाम से संबोधित करते हैं, उस सब के बावजूद; जो एक अमेरिकन डॉलर 1925 में 10 पैसे का था, आज 2024 में ठीक 99 साल बाद ₹84 से ज्यादा का है।
मतलब हमारे सभी मसीहाओं, आदर्शों और हम सब के सम्मिलित प्रयासों से हम 99 साल में 840 गुना अपनी अर्थव्यवस्था को गड्ढे में घुसा चुके हैं।
बावजूद इसके कि हम सबको चॉइस अपने लिए बेस्ट करियर ढूंढने की थी और अभी भी है।
हमने हजार से ज्यादा यूनिवर्सिटी बनायीं।
35000 से ज्यादा कॉलेज बनाये।
लाखों आइआईटियन बनाये।
ढैरों सड़क, पुल, बांध बनाए।
व्यक्ति की मृत्यु से संदर्भित जैसे बंदूक बनाना, चलाना, गोली चलाना सीखना, सिखाना; तलवार चलाना सीखना-सिखाना, कुश्ती, बॉक्सिंग, जूडो, कराटे और न जाने कितनी ही युद्ध कलायें सीखना-सिखाना जैसे ढैरों धंधे फैलाये।
पिस्टल शूटिंग और भाला फेंक में तो हम ओलंपिक से गोल्ड मेडल भी झटक लाये।
यह सब हम ही लोगों ने बनाया है, कुछ ना कुछ अपनी नौकरी या बेस्ट करियर बनाने के चक्कर में।
परंतु इन सब के कारण हमारी अर्थव्यवस्था खड्डे में गई है, यह हम सबको अब अच्छी तरह से पता चल चुका है।
आज जरा सा मौसम बदलते दिखा, सब के सब छींकने, खांसने लगते हैं। या सबको बुखार आने लगता है।
क्या इन्हीं तरीकों से हम कभी सोने की चिड़िया कहलाए थे?
हो सकता है, मेरी बातें बहुत कड़वी लगें आपको।
परंतु यदि हम वास्तव में कुछ बेस्ट के लिये सोच रहे हैं, तो वह इतना आसान भी नहीं होना चाहिए।
अन्यथा अच्छा, बेहतर और बहतरीन का मतलब ही बैमाना न हो जाये।
तो अब आते हैं मुद्दे पर।
जब आज दिखने वाले सारे पर्यायों के कारण, इस देश की अर्थव्यवस्था मात्र 99 साल में 840 गुना गड्ढे में चली गई; उनमें से एक भी हमें बेहतरीन तो नहीं ही लगना चाहिए।
तो इस बेहतरीन ढूंढने के चक्कर में हमें एकदम अभिनव अवसर खोजना पड़ेगा।
यहां मैं ऐसे ही एक नए अवसर के बारे में बताना चाहूंगा।
आज 25 से 55 साल के बीच की उम्र में, अकाल मृत्यु; मृतक/मृतका के बच्चों और जीवनसाथी को अनाथ बनाकर उनके शाश्वत समर्थन से वंचित कर देती है।
यह घटना परिवार & समाज की आर्थिक मज़बूती और राष्ट्र के मानव विकास सूचकांक पर व्यापक नकारात्मक प्रभाव भी डालती है।
ऐसे पर्यावरणीय क्षरण को रोकने के लिए; हमें इस प्रकार की घटनाओं को कम करना चाहिये।
तो अब एक नया व्यवसाय जिसका नाम ही “प्राण रक्षा अभियान” है।
यदि हम इसमें शामिल होकर प्रतिवर्ष शपथ पूर्वक 25 जान बचाना शुरू कर दें, तो अगले तीन वर्ष में; हम पूरे स्विट्जरलैंड की आबादी जितनी जानें; अपने देश में बचा सकेंगे।
जो अन्यथा असामयिक मृत्यु के चंगुल में चले ही जाने वाले हैं।
इस एक प्रयास के द्वारा हम एक ही दशक में मानव विकास सूचकांक के आधार पर, आज के 134 से उठकर; पूरी दुनिया के सिरमोर एक नंबर पर पहुंच जाने वाले हैं।
और देश की अर्थव्यवस्था भी विश्व में सिरमौर बन जाने वाली है।
तो यदि आप वास्तव में अपने लिए बेहतरीन करियर चुनना चाहते हैं तो मुझे नहीं लगता कि इससे बेहतर करियर आप शायद ही इस दशक में ढूंढ पाएं।
इसके लिये ग्लोबल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ किचनोपैथी® का गठन, वैज्ञानिक, तकनीकी अनुसंधान और डिजाइन की मदद से; सामान्य समाज को उच्च ज्ञान, और बेहतर जीवन शैली सुलभ कराके, भारत की अकाल मृत्यु दर को; कम करने के लिए किया गया है
अपने करियर ग्रोथ के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप इसे देख सकते हैं: https://www.grioki.com/jro